हाईकोर्ट के फैसले के बाद ओबीसी आरक्षण का काम शुरू हो गया है. शनिवार को पांच सदस्यीय आयोग की टीम ने आरक्षण की प्रक्रिया को लेकर विस्तार से चर्चा की. गोमतीनगर स्थित सूडा ऑफिस में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में आयोग के अध्यक्ष बनाए गए सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राम अवतार सिंह ने बताया कि सभी जिलों में आयोग की टीम जाएगी.
उन्होंने कहा, आरक्षण को लेकर समाज के हर वर्ग से सुझाव लिए जाएंगे. इसके अलावा दूसरे राज्यों के आरक्षण फार्मूले पर भी अध्ययन किया जाएगा. इसके अलावा आरक्षण के लिए हर प्रक्रिया का पालन किया जाएगा. आयोग के अध्यक्ष राम अवतार सिंह ने कहा है कि अपनी रिपोर्ट तीन माह में राज्य सरकार को सौंप देगा. प्रक्रिया पूरी होने में लगभग छह माह लगेगा. जिला प्रशासन के साथ ही जनप्रतिनिधियों से भी इसके बारे में बातचीत की जाएगी. जो भी आंकड़े मिलेंगे उसे क्रास चेक किया जाएगा. आयोग की रोजाना बैठक होगी. उन्होंने बताया कि आरक्षण पर फैसला आने में करीब छह महीने का समय लग सकता है. राम अवतार ने बताया कि कोशिश रहेगी कि सरकार को आरक्षण तीन महीने में रिपोर्ट सौंप दी जाए.
यूपी में निकाय चुनावों को लेकर आरोप-प्रत्यारोपों का दौर तेज हो चुका है. ओबीसी आरक्षण को लेकर विपक्ष जहां योगी सरकार पर हमले कर रहा है तो वहीं सरकार ने बिना ओबीसी को भरोसे में लेने के लिए कई कदम उठा दिए हैं. ओबीसी को आरक्षण का लाभ देने और ट्रिपल टेस्ट के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन भी कर दिया गया है.
पांच सदस्यीय आयोग की टीम के सदस्य
न्यायमूर्ति राम अवतार सिंह के साथ ही आयोग के चार सदस्य बनाए गए हैं. इनमें सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा और महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा और बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं. बतादें कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद योगी सरकार ने अधिकारियों के साथ विचार विमर्श करने के बाद आयोग बनाकर ओबीसी को आरक्षण देने की बात कही थी. अगले ही दिन पांच सदस्यीय आयोग का भी गठन कर दिया गया था.
हाईकोर्ट ने रद्द किया था ड्राफ्ट नोटिफिकेशन
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को 5 दिसम्बर 2022 के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था. इस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के जरिए सरकार ने एससी, एसटी व ओबीसी के लिए आरक्षण प्रस्तावित किया था. न्यायालय ने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित ट्रिपल टेस्ट के बगैर ओबीसी आरक्षण नहीं लागू किया जाएगा. कोर्ट ने एससी/एसटी वर्ग को छोड़कर बाकी सभी सीटों को सामान्य सीटों के तौर पर अधिसूचित करने का भी आदेश दिया था. न्यायालय ने सरकार को निकाय चुनावों की अधिसूचना तत्काल जारी करने का आदेश दिया है.
क्या है हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए निकाय चुनावों के लिए जारी 5 दिसम्बर 2022 के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को रद्द कर था. इस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के जरिए सरकार ने एससी, एसटी व ओबीसी के लिए आरक्षण प्रस्तावित किया था. न्यायालय ने अपने 87 पेज के निर्णय में यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित ट्रिपल टेस्ट के बगैर ओबीसी आरक्षण नहीं लागू किया जाएगा. कोर्ट ने एससी/एसटी वर्ग को छोड़कर बाकी सभी सीटों को सामान्य सीटों के तौर पर अधिसूचित करने का भी आदेश दिया है. हालांकि न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि महिला आरक्षण संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार दिए जाएं.
क्या है ट्रिपल टेस्ट
शीर्ष अदालत के निर्णयों के तहत ट्रिपल टेस्ट में स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण दिए जाने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन किया जाता है जो स्थानीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति व प्रभाव की जांच करता है, तत्पश्चात ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को प्रस्तावित किया जाता है तथा उक्त आयोग को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न होने पाए.