शहीद मेजर अविनाश सिंह भदौरिया का जन्म 14 दिसंबर 1971 को हुआ था,पढ़ाई में हाईस्कूल कैंट स्थित जयपुरिया स्कूल से किया,इंटर की पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय अर्मापुर से की,BSC प्रथम वर्ष में थे तभी NDA में जून 1990 में अविनाश का सलेक्शन एयरफोर्स में हुआ था, मगर पिता गंगा सिंह भदौरिया बताते है कि अविनाश ने एयरफोर्स के 2nd सेमेस्टर से आर्मी की तैयारी की उन्हें एयरफोर्स रास नही आई, वजह थी कि एयरफोर्स में जो मौका उन्हें चाहिए था दुश्मनों पर सामने से वार करने का वो वो गवाना नही चाहते थे यही वजह थी कि उन्होंने आर्मी को चुना ।
आजादी के पर्व पर कानपुर के लाल,शहीद मेजर अविनाश सिंह भदौरिया के परिजनों ने किया शहादत को याद,देश के वीरों को किया नमन!! pic.twitter.com/DmiIvRHoRd
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अविनाश भदौरिया की आर्मी में जॉइनिंग होते ही सबसे पहली तैनाती असम में हुई थी जिसके , गुजरात के जामनगर, बाढ़मेर, जैसी जगहों पर तैनाती हुई । आर्मी में तैनाती के बाद 1994 कमीशन मिला और इसी बीच 1997 मे अविनाश की शादी कानपुर की रहने वाली शालनी सिंह से हो गयी गयी थी, जिसके बाद 1997 में यानी 2 साल बाद उनके घर एक बेटे का जन्म हुआ जिसका नाम सबने ध्रुव रखा, धुव आज मुम्बई से बीटेक की पढ़ाई कर रहे हैं|
शहीद मेजर अविनाश के पिता pic.twitter.com/eaKfGUjab8
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शादी के बाद पुनः देश सेवा की ओर अविनाश चल दिये सरहदों की सुरक्षा पर , और एक के बाद एक बड़ी बड़ी जंग में उन्होंने कई आतंकी हमलों में मुहतोड़ जवाब दिया , अंततः उनके तेज़ तर्रार रवैये और दुश्मनों पर घातक प्रहार ने उन्हें 7 वर्ष बाद सेना में प्रमोशन कर के मेजर बना दिया गया जिसके बाद उन्हें जम्मू कश्मीर के डोडा में मिली जहां 28 सितंबर आतंकवादियों ने सेना पर हमला बोल दिया, उस वक़्त 4 आतंकवादियों को इस वीर सैनिक ने बंदूक की गोलियों से जहन्नुम पहुंचा दिया, इस बीच हुई गोला बारी में अविनाश भी घायल हुए, जहां सेना के विमान से उन्हें लाते वक़्त उनका बेहद खून बह गया जिसके कारण अपनी जान गवा दी, और देश ने एक बहादुर वीर सैनिक खो दिया ।