भारत में आयुर्वेद का इस्तेमाल चिकित्सा प्रणाली के रूप में कई युगों से होता रहा है,रामायण काल में भी जब मेघनाथ के वार से लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए तब आयुर्वेद नहीं उन्हें उनके प्राण वापस किए। वही आज महामारी के इस दौर में भी आयुर्वेद अपना लोहा मनवा रहा है,बता दें कि कोरोना महामारी के बीच भारत में सबसे कारगर दवा काढ़े को माना गया है,वह भी गिलोय युक्त काढ़ा जिसमें गिलोय को काफी देर तक उबाला जाए तब उसका सेवन किया जाए।
Giloy/गिलोय
बता दें कि गिलोय तमाम तरह के रोगों को नष्ट करने के लिए प्रयोग किया जाता है,गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि है जो कई प्रकार के रोगों में कारगर साबित हुई है,इसमें नीम पर चढ़ी हुई गिलोय सबसे ज्यादा कारगर मानी जाती है,बता दें कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए भारत में गिलोय का इस्तेमाल काफी लंबे समय से लोग करते आ रहे हैं, वहीं तेज बुखार बदन दर्द डायबिटीज सर्दी जुखाम व अनेकों प्रकार की बीमारियों को दूर करने के लिए लोग गिलोय का इस्तेमाल करते हैं, गिलोय शरीर में खत्म हो रहे कई कोशिकाओं को दोबारा से बनाने लगता है, जिसकी वजह से मानसिक व शारीरिक कमजोरी भी गिलोय के सेवन से खत्म हो जाती है।
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कैसे करें गिलोय का सेवन ?
पान के पत्ते की तरह दिखने वाले गिलोय की पहचान एक बेल के रूप में है कई जगह से अमृता व गुडुची भी कहते हैं, भारत में कई योगाचार्य गिलोय के पत्ते को सीधे चबाकर खाने में ज्यादा असरदार बताते हैं, लेकिन यह आम लोगों के लिए काफी कठिन कार्य होता है क्योंकि गिलोय काफी कड़वी होती है जिसके चलते लोग गिलोय का काढ़ा बनाकर पीते हैं जिसके लिए उन्हें गिलोय के तने को काटकर छोटे-छोटे टुकड़े में उबालकर उसका काढ़ा बनाकर पीने में ज्यादा सहूलियत रहती है। बता दें कि कई बार तो गिलोय मधुमेह,ब्लड प्रेशर वह अन्य गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने में भी कारगर रहता है, इस वैश्विक महामारी के दौर में गिलोय का काढ़ा काफी असरदार माना गया है,कोरोना से संक्रमित कई लोगों ने यह दावा किया है कि गिलोय का काढ़ा पीने से ही वह वापस से एकदम स्वस्थ हो गए इसलिए गिलोय का इस्तेमाल नियमित रूप से भी किया जा सकता है और महामारी के इस दौर में अपनी रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।