एक छोटी सी पान की दुकान पर पान लगाने वाला अमूमन अपने जीवन मे कितना धन बचा लेगा,एक बहन के लिए उसके भाई से बड़ा धन क्या होगा? एक माँ के लिए अपने बेटे से बढकर क्या होगा। लेकिन कानपुर की बर्रा थाना पुलिस के लिए लापरवाही से बढ़कर कुछ नही,ताजा मामला कानपुर के बर्रा थाना क्षेत्र का है,जहां एसपी साउथ ऑफीस में एक बहन की चीख पुकार पुलिस पर दगाबाजी का आरोप लगाती रही,आपको बता दें कि बर्रा के दरोगा चौराहे के पास पान की दुकान चलाने वाले चमन लाल यादव का बेटा संजीत 22 जून को पैथोलॉजी से अपना काम निपटा कर अपने घर के लिए निकलता है,लेकिन वह अपने घर नही पहुँचता, रास्ते से ही उसका अपहरण कर लिया जाता है।
जिसके बाद अपहरणकर्ताओं ने संजीत के परिजनों को फ़ोन कर 30 लाख रुपये की फिरौती मांगी,घर वालों ने पुलिस को सूचना दी और शिकायत दर्ज कराई,लेकिन असली खेल अब शुरू हुआ। संजीत की बहन ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए बताया कि पुलिस ने कहा तुम पैसों का इंतजाम करो हम पैसे देते समय अपहरणकर्ताओं को पकड़ लेंगे,घरवाले मान गए,अपना घर बेचा बहन की शादी के लिए रक्खे जेवर बेचे,उस परिवार ने 30 लाख इक्कठे किये जिसकी मुख्य जीविका पान की दुकान से थी।
पुलिस के साथ संजीत के परिजन पैसा लेकर अपराधी के पास गए साथ मे थानेदार साहब भी और कुछ पुलिस वाले भी अपराधियों ने पैसा भी लेलिया ओर अब तक संजीत का कोई पता नही चला,न ही पुलिस ने किसी अपराधी को पकड़ा और पैसा भी अपने सामने सुपुर्द करवा दिया,परिजन एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता के पास गए लेकिन मैडम ने अलग थ्योरी समझा दी, पुल से घूमकर आने में 1.5 किलोमीटर लगता कैसे पकड़ लेती पुलिस? शानदार पुलिसिंग है मैडम की खैर इसके बाद पपरिजनों ने कानपुर एसएसपी का दरवाजा खटकाया ओर एसएसपी दिनेश कुमार पी ने अब जांच आपने अंडर लेली है,ओर परिजनों को आश्वाशन दिया है कि उनका लड़का और पैसा दोनों वापस करवाएंगे।
लेकिन कानपुर की बर्रा पुलिस अब सवालों के घेरे में है।
- जब अपहरण कर्ताओं में 15 फ़ोन किये तब पुलिस ने नम्बर सर्विलांस पर क्यों नही लगाया?
- 4 थानों की फ़ोर्स के सामने अपराधी पैसा लेकर कैसे चला गया??
- लगातार एक ही नंबर से फ़ोन आने पर भी पुलिस अब तक कुछ नही कर पाई?
ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि आखिर संजीत अपने घर कब लौटेगा और 30 लाख रुपये की रकम परिजनों को मिलेगी या नही?